Monday, August 11, 2008

वंदे मातरम!


वेदमंत्रों से है बढ़कर वंद्य वंदे मातरम!

मंत्र से एक मुल्क मुर्दों का हुआ था उठ खड़ा,
निर्दयों से शांतिवादियों का था पाला पड़ा,
अब निहत्थों को मिला था शस्त्र वंदे मातरम!


मां की रक्षा के लिए थी यज्ञ से ज्वाला उठी
लाखों वीरों ने चढ़ाई उसमें अपनी आहुति
आहुति से सिद्धि पाया मंत्र वंदे मातरम!


मंत्र यह जिसने बनाया जिसने गाया और जिया
वह हुतात्मा देव बन कर स्वर्ग को भी पा गया
गाएं 
उनकी आरती में गीत वंदे मातरम्!


-Yogesh
(A tranlsation of a Marathi song based on Vande Mataram)

Thursday, February 7, 2008

"तुम जूझो!"

"सर, मुझे पहचाना?" कहता चौखट पर वह आया,
कपड़े उसके मटमैले थे मुखड़ा था कुम्हलाया.

पलभर बैठा, मुसकाया और नज़रें उसने उठाईं,
बोला, "घर में अतिथि बनकर गंगामैय्या आयी!

नैहर लौटी दुल्हन सी घर आंगन में वह खेली,
साथ में ले गयी बहुत कुछ पर बीवी को वह भूली.

चौखट धंस गयी, बुझ गया चूल्हा, पीछे कुछ भी न छोड़ा,
जाते जाते मगर रखा पलकों में पानी थोड़ा.

हम दोनो अब उठा रहे हैं जो भी गया था रौंदा,
कीचड़ में अब बसा रहे हैं फिर एक नया घरौंदा."


ज़ेब में जाते हाथ मेरे वह खड़ा हुआ और बोला,
"पैसे न दें सर, आया हूं मैं खुद को पा के अकेला.

कमर नहीं टूटी भले ही हुआ हो सब बरबाद,
कहें मुझे "तुम जूझो!!", मुझे बस दें यह आशीर्वाद!!"


-- कुसुमाग्रज की मूल मराठी कविता का भाषांतर